Friday, March 17, 2023

टाइफाइड क्या है, टाइफाइड क्या होता है, टाइफाइड क्यों होता है, टाइफाइड कैसे होता है,

नमस्कार मित्रो, मै रवि शंकर मेहता आज फिर आपलोगो के लिए सेहत से जुड़ी एक और जानकारी ले कर आया हूँ। आजकल जो मौसम चल रहा है उसमे ये बीमारी का होना आम बात है, इसलिए आज हम इसी विषय पर बात करेंगे। आज का अपना विषय है टाइफाइड जिसे मियादी बुखार भी कहते है। आज इसके विषय मै हम विस्तार से समझेंगे की यह होता क्या है, क्यों होता है, क्या कारण होते है इसके होने का, साथ ही हम जानेगे इसका उपचार, घलेरु, अल्लोपथिक और आयुर्वेदिक ये सब हम आज के लेख मै समझेंगे और जानेगे, तो आइये बिना बिलम्ब किये आज का अपना विषय शुरू करते है, अगर आपसब को मेरा ये लेख पसंद और ज्ञानवर्धक लगे तो कृपया कर के लाइक कमेंट और शेयर अवश्य करे।
टाइफाइड क्या है, या टाइफाइड क्यों होता है? टाइफाइड को मियादी भूखार के नाम से भी जानते है। टाइफाइड एक संक्रमण वाला भूखार है, जो दूषित खाना और पानी के खाने या पीने से फ़ैलता है। उसमे साल्मोनेला टाइफी बैक्टीरिया होता है। जिससे फूड प्वाइजनिंग होती है। दूषित भोजन और पानी से संक्रमण फैलता है। टाइफाइड बुखार आमतौर पर बरसात के मौसम में फैलता है। प्रदूषित पानी इसका प्रमुख कारणों में से एक है जो इस पानी से जन्म लेने वाली बीमारी में योगदान देता है। इससे बच्चों को अधिक खतरा होता है। हालांकि, वयस्कों की तुलना में उनके लक्षण कम गंभीर होते हैं। टाइफाइड भूखार के क्या कारण होते है? टाइफाइड बुखार साल्मोनेला टाइफी नामक खतरनाक बैक्टीरिया के कारण होता है। साल्मोनेला टाइफी बैक्टीरिया से संबंधित है जो साल्मोनेलोसिस का कारण बनता है, एक और गंभीर आंतों का संक्रमण, लेकिन वे समान नहीं हैं।
टाइफाइड भूखार के क्या लक्षण होते है? टाइफाइड भूखार के बहुत से लक्षण है जिससे हम जान सकते है या अनुमान लगा सकते है की टाइफाइड भूखार है। टाइफाइड भूखार के लक्षण इस तरह है, जैसे भूख न लगना, लगातार कमजोरी महसूस करना, सिरदर्द और शरीर में दर्द होना आम है। कब्ज, दस्त और उल्टी धीरे-धीरे विकसित होती है। गले मै खरास, शरीर पर चकते चकते होना, संक्रमित व्यक्ति के संपर्क मै रहने से, ये टाइफाइड के कुछ सामान्य लक्षण है। टाइफाइड भूखार का क्या इलाज है? टाइफाइड बुखार के लिए एंटीबायोटिक चिकित्सा ही एकमात्र प्रभावी उपचार है। आमतौर पर निर्धारित एंटीबायोटिक्स दवाओं में शामिल हैं :- 1. सिप्रोफ्लोक्सासिन (सिप्रोबिड 500mg) Ciprofloxacin (Ciprobid) 2. एज़िथ्रोमाइसिन (अज़ीथराल 500mg) Azithromycin (Azithral 500mg) :- इसका उपयोग तब किया जाता है जब कोई व्यक्ति सिप्रोफ्लोक्सासिन लेने में असमर्थ हो या बैक्टीरिया सिप्रोफ्लोक्सासिन असर नहीं कर रहा हो। 3. सेफ्ट्रिएक्सोन Ceftriaxone :- यह इंजेक्शन योग्य एंटीबायोटिक अधिक जटिल या गंभीर संक्रमणों में उपयोग किया जाता है और उन लोगों के लिए एक विकल्प है जो टेबलेट से नहीं ठीक हो रहा हो तो इंजेक्शन ले सकते है। 4. टाइफाइड के अन्य उपचार। अन्य उपचारों इस प्रकार है : तरल पदार्थ पीना Drinking fluids :- बुखार और दस्त के कारण शरीर मै पानी की कमी को दूर करने के लिए तरल पदार्थ का सेवन करना अत्यधिक लाभकारी होता है कभी कभी फ्लूड्स sline के द्वारा चढ़ाया जाता है। टाइफाइड के बचाऊ के कारण?
सुरक्षित पेयजल, बेहतर स्वच्छता और पर्याप्त चिकित्सा देखभाल टाइफाइड बुखार को रोकने और नियंत्रित करने में मदद कर सकती है। दुर्भाग्य से, कई विकासशील देशों में इसे हासिल करना मुश्किल हो सकता है। इस कारण से कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि टाइफाइड बुखार को नियंत्रित करने के लिए टीका ही सबसे अच्छा तरीका है। इसके अलावा कुछ चीज़ो का ध्यान रखने से भी टाइफाइड भूखार से बचा जा सकता है जैसे :- 1. अपने हाथ धोएं :- गर्म, साबुन के पानी में बार-बार हाथ धोना संक्रमण को नियंत्रित करने का सबसे अच्छा तरीका है। खाना खाने या खाना बनाने से पहले और शौचालय का उपयोग करने के बाद धो लें। पानी उपलब्ध न होने पर कई बार अल्कोहल-आधारित हैंड सैनिटाइज़र साथ रखें। 2. दूषित पानी पीने से बचें :- दूषित पेयजल उन क्षेत्रों में एक विशेष समस्या है जहां टाइफाइड बुखार स्थानिक है। इस कारण से, केवल बोतलबंद पानी या डिब्बाबंद या बोतलबंद कार्बोनेटेड पेय, वाइन और बीयर पिएं। कार्बोनेटेड बोतलबंद पानी गैर-कार्बोनेटेड बोतलबंद पानी की तुलना में अधिक सुरक्षित है। 3. कच्चे फल और सब्जियों से बचें :- क्योंकि कच्चे उत्पाद दूषित पानी में धोए गए होंगे, ऐसे फलों और सब्जियों से बचें जिन्हें आप छील नहीं सकते, खासकर सलाद पत्ता। पूरी तरह से सुरक्षित रहने के लिए, आप कच्चे खाद्य पदार्थों से पूरी तरह बचना चाह सकते हैं। 4. गर्म भोजन चुनें :- हमेशा गर्म भोजन का ही सेवन करे। नोट :- हमारा उदेश्य सिर्फ और सिर्फ जानकारी देना है, सही और उचित सलाह पाने के लिए अपने निजदीकी डॉक्टर से परामर्श ले और उनकी देख रेख मै अपना इलाज करवाए। अगर आपको हमारा ये लेख पसंद आया हो तो आप मेरे ब्लॉग को लाइक कमेंट और शेयर कर सकते है। आप चाहे तो मुझे सोशल मीडिया पे फॉलो भी कर सकते है. लिंक मै निचे मेंशन कर रहा हु।
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Sunday, February 26, 2023

कब्ज क्या है, कब्ज क्यों होता है, कब्ज के क्या कारण होते है, कब्ज का इलाज क्या है,

मैं रवि शंकर मेहता आप सब का अपना भाई, मित्र, दोस्त। आज फिर एक नई बीमारी और उसके कारण और इलाज के बारे मे विस्तार से समझेंगे और जानेंगे। हमारा आज का विषय है constipation यानि कब्ज। आज हमसब कब्ज के बारे मे विस्तार से जानेंगे की कब्ज होता क्या है, कब्ज क्यों होता है, और इसके क्या कारण होते हैं, कब्ज की इलाज घरेलु, अल्लोपैथिक और आयुर्वेदिक तीनो तरीको को समझेंगे। तो अब बिना देर किये शुरु करते है आज का अपना विषय।

कब्ज क्या है और क्यों होता है?
constipation यानि कब्ज,मल का आंत मै सुख के सख्त होना और मल त्यागने मै कठिनाई होना, अच्छे से मल का त्याग नहीं होना हमेशा सुस्त और फ्रेश फील नहीं होना।कब्ज कोई बीमारी नहीं है यह दूसरे बीमारी के वजह से होता है इसके अलावा दूसरे वजह से भी कब्ज होता है जैसे शरीर मै पानी की कमी या पानी का बहुत कम पीना, भोजन मै फाइबर की कमी, या शारीरिक गतिविधि ना करने या अल्कोहल, ड्रग्स का अत्यधिक सेवन करने के वजह से होता है। आमतौर पर एक सप्ताह मै तीन से कम बार मल त्याग करने को कब्ज होना कहा जाता है। कब्ज एक सामान्य समस्या है जो सभी उम्र के लोगो को प्रभावित कर सकता है। नियमित रूप से मल पास नहीं कर पाना या पूरी तरह से पेट का साफ नहीं होना ही कब्ज कहलाता है।
कब्ज का लक्षण क्या है?
कब्ज मै मल सख्त हो जाता है जिसकी वजह से मल त्याग करने मै अधिक जोर लगाना पड़ता है, कब्ज के मरीज़ रोज़ मल त्याग नहीं करते है जिसके वजह से परेशानी बढ़ जाती है और मल त्याग करने मै काफ़ी कठिनायों का सामना करना पड़ता है। कब्ज के मरीज की जीभ सफ़ेद या मटमेला हो जाता है और मुँह का स्वाद भी ख़राब हो जाता है और मुँह से दुर्गन्ध भी आने लगता है। कब्ज के मरीज़ को भूख भी नहीं लगती है और साथ मै मतली और उलटी की सम्भावना बनी रहती है और पेट मै बहुत ज्यादा गैस बना रहता है, शौचालय से आने के बाद भी अधूरे मल त्याग की भावना बना रहना, पेट मै सूजन या पेट दर्द आदि भी कब्ज के लक्षणों मै आते है।
कब्ज के क्या कारण होते है?
large intestine का मुख्य काम खाने से पानी को अवसोसित करना होता है इसके बाद खाना मल मै कन्वर्ट हो जाता है पजीर large intestine की मस्सपेशीयां मल को मलाशय के रास्ते बाहर निकालदेता है अगर मल large intestine मै बहुत लम्बे समय तक रहता है तो वो सख्त हो जाता है और फिर उससे बाहर निकालने मै बहुत कठिन हो जाता है ख़राब भोजन हमेशा कब्ज का कारण बनता है जैसे :- कम फाइबर वाला भोजन खासकर मसाहरी भोजन, दूध से बना सामान, फास्टिंग व्रत, व्यायाम की कमी,शराब का अत्यधिक सेवन, ड्रग एडिकेशन, प्रेग्नेंसी, हार्मोनल प्रॉब्लम इत्यादि।
 कब्ज का घरेलु उपाए क्या है?
सुबह उठने के बाद गर्म पानी पिए और कुछ देर टहले आप को कब्ज मै बहुत आराम मिलेगा। अजवाइन और जीरे को हल्के आंच पर भूनकर उससे चूर्ण तैयार करें। अब इस चूर्ण में काला नमक पीस कर मिला लें। इस चूर्ण को हर दिन करीब आधा चम्मच हल्के गर्म पानी के साथ लें। आसानी से पचने वाला भोजन करें,कब्ज की समस्या को दूर करने के लिए आपको खानपान में बदलाव की सबसे अधिक जरूरत होती है। कब्ज से बचना चाहते हैं तो ऐसा भोजन करें जो आसानी से और बढ़िया तरीके से पच जाए। इसके साथ ही आपको हर दिन पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन करना है। अधिक समय तक भूखा रहने से भी कब्ज की परेशानी हो सकती है, बीच-बीच में कुछ खाते रहे, ज्यादा समय कर उपवास न करें। सुबह की फ्रेश हवा में बैठ कर प्राणायाम करें तो आपकी पेट संबंधी परेशानियां खत्म हो जाएगी। कपालभाति, अनुलोम विलोग जैसे प्राणायाम जरूर करें। रात को सोने से पहले एक गिलास गर्म दूध में कुछ बूंदे घी की मिला लें और इसका सेवन करें. ऐसा नियमित करने से पेट साफ होने लगता है और कब्ज की परेशानी खत्म हो जाती है.
कब्ज की आयुर्वेदिक इलाज़ क्या है?
कब्ज की आयुर्वेदिक इलाज इस प्रकार है. टेबलेट Consti-Gone  रात को सोते वक़्त गर्म पानी के साथ ले सुबह आप फ्रेश फील करेंगे।
पेट साफा चूरन का उपयोग करे या
softovac पाउडर, इसबगोल की भूसी भी सुबह सुबह लेने से पेट साफ हो जाता है।
कब्ज की अल्लोपैथिक इलाज़।
टेबलेट दुलकोफ्लेक्स रात मै सोने वक़्त 2 गोल्ली रोज़ ले।
 सिरप मिल्क ऑफ़ मागनेसिया, लूज़, cremafen ले और अगर ज्यादा दर्द होता हो मल त्यागने वक़्त तो lignocaine जेली को गुढ़ा द्वार पर मल त्यागने के 10 मिनट पहले लगाले। अगर मल त्यागने वक़्त ब्लीडिंग होता हो तो फिर क्लॉथ टेबलेट सुबह शाम ले।
ऊपर दिए दवा से भी मल त्यागने मै कठिनाय हो तो एनेमा 30ml व्यस्क मरीज को दिया जाता है वो भी गुढ़ा मार्ग से।
नोट :- ह्यपोथाइरोदीस्म के मरीज मै कब्ज रहता है इसलिए ऐसे मरीज को अपना थाइरोइड लेवल और TSH का लेवल नार्मल रखना चाहिए।

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आपका अपना मित्र
रवि शंकर मेहता
MBA from एमिटी यूनिवर्सिटी नॉएडा
11 year फार्मा कंपनी एक्सपीरियंस
4 year क्लिनिक प्रैक्टिक्स और हॉस्पिटल।

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Sunday, February 19, 2023

लकवा क्या है, लकवा क्यों होता है, लकवा का इलाज,

मैं रवि शंकर मेहता आप सबका चित परिचित मित्र, आज फिर एक नई विषय के साथ आया हूं, आप सबको इस लेख के माध्यम से  मैं आपको बताऊंगा  लकवा क्या है, लकवा का इलाज, लकवा के कारण इत्यादि।
लकवे को लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल होते हैं कि आखिर लकवे का कैसे पता किया जा सकता है और इसका क्या असर होता है? ऐसे में जानते हैं इससे जुड़े हर एक सवाल का जवाब...
समझिए आखिर लकवा होता क्यों है? क्या इसका पहले से पता लगाया जा सकता है अगर लकवा हाथ, पांव में होता है तो आप चलने और लिखने में दिक्कत होगी. आपने अपने आस-पास में सुना होगा कि किसी को लकवा मार गया है. हो सकता है आपके परिवार में भी किसी के साथ हुआ हो. लकवा एक ऐसी बीमारी है, जिसके बारे में पहले से कुछ पता नहीं चलता है और एक दम से दिक्कत हो जाती है. ऐसे में लोगों के मन में लकवे को लेकर कई तरह के सवाल रहते हैं कि आखिर इसके लक्षण क्या हैं, यह क्यों होता है और इसका पहले से पता लगाया जा सकता है या नहीं. ऐसे में जानते हैं लकवे से जुड़ी खास बातें, जो ना सिर्फ आपको जागरूक करती है, बल्कि आप इनके बारे में जानकर किसी बड़ी दिक्कत को टाल सकते हैं. तो जानते हैं इससे जुड़ी हर एक बात…
 लकवा क्या है और यह क्यों होता है ? अचानक ब्रेन के किसी एरिया में डैमेज हो यानी खून सप्लाई को लेकर जो डैमेज होता है, उसकी वजह से लकवा आता है. इससे होता क्या है कि शरीर के एक तरफ के हिस्से जैसे एक हाथ या एक पांव में काफी ज्यादा कमजोरी आ जाती है. किस वजह से आता है लकवा।
लकवा के कारण?
लकवा के आम तौर पर दो कारण माने जाते हैं. इसमें एक कारण तो ब्रेन हैम्ब्रेज है यानी ब्रेन में जाने वाली ब्लड की पाइप फट जाना. दूसरा कारण है इस ब्लड पाइप में कोई ना कोई ब्लॉक हो जाना. माना जाता है कि ज्यादातर केस पाइप ब्लॉक होने वाले ही होते हैं और अधिकतर लोगों के इस वजह से लकवा आता है. कई रिपोर्ट्स में कहा गया है कि 85 फीसदी लकवा के केस पाइप ब्लॉक होने के वजह से होते हैं, जबकि 15 फीसदी मामले अन्य कारणों से होते हैं. अगर रिस्क फैक्टर की बात करे तो डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, लिपिड प्रोफाइल बढ़ी हो तो इसका खतरा बढ़ सकता है. इसके अलावा जिन लोगों को हार्ट संबधी दिक्कत होती है और ब्लड का थक्का जमने की दिक्कत रहती है तो कई बार थक्का धीरे-धीरे दिमाग तक पहुंच जाता है वहां जम जाता है, जो लकवे का कारण बनता है. ऐसे में इन बीमारियों को लकवे का रिस्क फैक्टर माना जाता है.
लकवा का कोई संकेत होता है या नहीं?
अक्सर लोगों के सवाल होते हैं कि क्या ऐसे कोई संकेत होते हैं, जिनसे ये पता लगाया जा सके कि किसी को आगे लकवे की शिकायत हो सकती है. ताकि व्यक्ति पहले से सतर्क रहे और आगे की दिक्कत के लिए सतर्क रहें. इस पर एक्सपर्ट का कहना है कि बहुत कम केस में इसका पहले से पता किया जा सकता है, क्योंकि यह कुछ ही मिनटों में हो जाता है और संभलने के लिए पहले से वक्त नहीं मिलता है. मगर जिन केसों में पहले पता चलता है, उन लक्षणों की बात करें तो इसमें पहले एक छोटा सा लकवा आता है. यह होता लकवे की तरह ही है, लेकिन यह कुछ ही मिनटों में ठीक हो जाता है. जैसे कुछ देर बोलने में दिक्कत होती है और कुछ देर के लिए शरीर के एक तरफ के हिस्से में कमजोरी होने लगती है. इस केस को डॉक्टर्स टीआईए के नाम से जानते हैं. ऐसे में इस लकवा का संकेत माना जा सकता है.
 लकवा के लक्षण?
अगर लकवे के लक्षण की बात करें तो अगर लकवा हाथ, पांव में होता है तो आप चलने और लिखने में दिक्कत होगी और कमजोरी आ जाएगी. वहीं, जिन लोगों को चेहरे में लकवा आता है, उन लोगों को बोलने और खाना खाने में दिक्कत होगी. इसके अलावा कमजोरी होने से काफी दिक्कतें और भी शुरू हो जाती हैं, जिसमें बेड सोर्स आदि कई तरह की दिक्कतें शमिल हैं. लकवा का इलाज डॉक्टर के देखरेख में कराना चाहिए।
लकवा में जो दवाइयां दी जाती है वह इस प्रकार है, कोई भी दवाई लेने से पहले डॉक्टर से अवश्य परामर्श ले।
इंजेक्शन डेक्सोना 1ml आईएम स्टेट
इंजेक्शन traxol-से 1.5gm सुबह शाम IV stat
इंजेक्शन CB Max /CB12 OD/BD मरीज़ के अनुसार IM stat OD
इंजेक्शन Mecalvit OD IM stat
इंजेक्शन Recalvin OD IM stat
इंजेक्शन कंप्लेंमीना 1ampule alternet day 15 डेज
टेबलेट कंप्लेंमीना 300mg BD one मंथ टेबलेट Trental 400mg BD 1मंथ
टेबलेट Deflozacort 6mg 15days TID after 15days BD to 2month
टेबलेट मल्टीविटामिन OD 1month
tablet कैल्शियम 500mg 1month
हेलियस आयल से मसाज करे 1month एक्सरसाइज जितना हो उतना करे,
आपलोगों को मेरा यह लेख कैसा लगा आप मुझे कमेंट बॉक्स मे बता सकते है, अगर कोई सुझाव हो तो वोभी दे सकते है मुझे।
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 आपका मित्र।
रवि शंकर मेहता
MBA, Amity university
12 year pharma experiance
4year hospital न clinic प्रैक्टिस

Saturday, January 21, 2023

अनियमित महावारी , महावारी का ना आना, महावारी के दौरान अत्यधिक रक्तसराओ,

मैं रवि शंकर मेहता,(MBA,11years pharma experiance, 4year hospital & clinic Practice, General Medicine Practisner) 
आप सब का मित्र आज फिर एक नये विषय के साथ आपके के साथ हाजिर हूँ। हम लोग इस लेख मैं यह जानेंगे और समझेंगे की महिलाओं मैं आजकल बहुत ही common बीमारी है। अनियमित महावारी,महावारी का समय पर नहीं आना, महावारी के दौरान बहुत अधिक रक्त का आना, बांझपन की समस्या, इत्यादि। आज हम इस लेख मैं इन्हीं सब के बारे मैं जानेंगे।
महावारी क्या है,और क्यों होता है? अनियमित महावारी क्या है, और क्यों होता है? महावारी का समय पर नहीं होना, महावारी के दौरान अत्यधिक रक्त का आना, महावारी को अस्थगित करना, बांझपन इत्यादि? 
 हम इस लेख मैं ऊपर दिए सभी के बारे मैं जानेंगे। 
जैसे इनके कारण, लक्षण, उपाए,और इलाज। तो अब बिना देर किये शुरु करते है।

 1. महावारी (पीरियड्स, मैन्स)क्या है,यह क्यों होता है,और क्यों होना चाहिए?

 मासिकधर्म को महावारी, रजौधर्म, मेंसटुअल साइकिल, एमसी, और पीरियड्स के नाम से भी जाना जाता है। महिलायों के शरीर मैं हार्मोन्स मैं होने वाले बदलाऊ की वजह से गर्भाशय के अंदुरुनी हिस्से से होनेवाली रक्तश्राव को मासिकधर्म, या महावारी कहते है। 
मासिकचक्र वह है जिसमे एक महिला के योनिमार्ग से कुछ दिनों के लिए रक्तश्राव होता है। अधिकांश महिलाओं मे यह 28 दिन के बाद होता है। महिलाओं मे इस साइकिल (चक्र) की अवधि लम्बा या छोटा हो सकता है जैसे:-24 या 35 दिन का हो जाना समान्य मना जाता है। 

 पीरियड्स महिलाओं या लड़कियों मे किस उम्र से शुरु होता है?
 NHS के अनुसार यह लड़कियों मे उसके स्तन के विकास के 2 साल के बाद सामन्यतः पीरियड्स शुरु हो जाता है। ज्यादातर लड़कियों मे उनका पहला पीरियड्स 12 साल की उम्र तक आजाता है हालांकि हर लड़की एक दूसरे लड़की से अलग होती है और उनका विकास भी अलग अलग होता है कुछ लड़कियों मे पीरियड्स 8 साल की उम्र मे तो कुछ लड़कियों मे 15साल की उम्र तक भी शुरु हो सकता है। लड़कियों के शरीर मे पीरियड्स होने का मतलब है की उनका शरीर अपने आपको संभावित गर्भावस्था के लिए तैयार करने लगा है। 

 पीरियड्स नहीं आना, पीरियड्स रुका हुआ है,या पीरियड्स मिस कर गया, पीरियड्स अनियमित है। तो इनका क्या कारण हो सकता है। 
 परियड्स मिस या अनियमित महावारी के कारण इस प्रकार हो सकते है 
 1. तनाव 
2. दैनिक दिनचर्या मे बदलाऊ। 
3. स्तनपान 
 4. बर्थ कंट्रोल पिल्स 
 5. PCOS/PCOD होना 
 6. ज्यादा एक्सरसाइज करना 
 7. हार्मोन्स का असंतुलन होना। 
8. प्रोलक्टिन लेवल का बढ़ना। 
9. डायबिटीज या थाइरोइड का होना। 
10. प्रेग्नेंसी का पॉजिटिव होना। 
 11. ओवरयन (डिंब ग्रंथियों का अधूरा विकास होना) 
12. टीवी रोग का होना 
 13. मोटापा 
 14. अनामिया रक्त की शरीर मे कमी। इत्यादि इसमे मरीज़ के रोग के मुख कारण का पता लगाने के बाद ही मरीज़ का इलाज करना चाहिए जिससे की मरीज़ का सही उपचार हो सके।

 अनियमित पीरियड्स या पीरियड्स बंद है नहीं आरहा है या फिर पीरियड्स मिस कर गया हो इनसब का घरेलु उपाए और इलाज। 
 हर भारतीय किचन मे अनियमित पीरियड्स, मिस पीरियड्स,पीरियड्स नहीं हो रहा है इनसब का इलाज है बस जानकारी की कमी के कारण हम घरेलु उपाए नहीं कर पाते है, वैसे शायद आपने अपने नानी दादी से सुना होगा की प्रेगनेंसी मे कभी कभी गर्म चीज नहीं खाना चाहिए गर्म चीज का मतलब है जिनका तासीर गर्म हो। चूल्हे पे बना गर्म से नहीं है। जिनका तासीर गर्म होता है उसके सेवन करने से गर्वपात होने की संभावना बढ़ जाती है तो मैं आपको नहीं कुछ घरेलु उपाए बता रहा हूँ जो आप कर सकते है।

घरेलु उपाए इस प्रकार है।
1. अधकच्चा पापीता या अनानस खाने से भी पीरियड्स आजाते है। क्योंकि ये सब Uterus मे कॉन्ट्रैक्शन पैदा करती है।
2. एक गिलास दूध मे एक चम्मस हल्दी मिलाकर रात मे सोने से पहले इसका सेवन करने से भी रुका हुआ पीरियड्स शुरु हो जाता है।
3. आजमाइन या जीरा या दोनों को मिला के पानी मे डाल के उबाल लें और फिर उससे कुछ दिनों तक सुबह शाम लें।
4. एक कप पानी मे अदरक का एक छोटा सा टुकड़ा डालकर उसे अच्छी तरह उबाल लें और फिर उस पानी मे अपने स्वाद अनुसार नमक या शहद, काली मिर्च मिला के एक महीने तक दिन मे एक बार लें।
5. रात के समय एक गिलास पानी मे सौफ डालके छोड़ दे फिर सुबह छान के पी लें।
 अलौपैथिक इलाज जो हम लें सकते है अनियमित पीरियड्स या पीरियड्स मिस होने पर डॉक्टर दवा लेने की सलाह देते है।
Allopethic treatment इस प्रकार है।
यह एक प्रोगेस्ट्रोने हार्मोन्स की दवा है जो बॉडी मे डिस्टर्ब हुए हार्मोन्स को शरीर मे सही करता है
1. Norethindrone Acetate / Norethisterone टेबलेट 5mg
ब्रांड नाम : Regestrone 5mg, Aygestin 5Mg,Noritis 5Mg
2. Medroxy Pregesterone Acetate 10Mg टेबलेट
ब्रांड नाम :- Medrox 10mg टेबलेट
1. अनियमित पीरियड्स मे Norethindrone या Norethisterone ये अनियमित पीरियड्स मे इससे डॉक्टर्स के परामर्श के बाद 24 से 25 दिन लें और 5 दिन का गेप देकर फिर से खाना शुरु करे ये कम से कम 3 महीने तक बिना दवा को मिस किये कंटिन्यू लें जिससे की आपका अनियमित पीरियड्स रेगुलर हो जायेगा और आप की बांझपन की भी समस्या का समाधान हो जायेगा।
2. जिनका पीरियड्स नहीं आरहा है या मिस कर गया है उसे ऊपर दिए दोनों दवा मे कोई एक 4 से 5 दिन खा के छोड़ दे आपका रुका हुआ पीरियड्स दुबारा शुरु हो जायेगा।

पीरियड्स के दौरान अगर बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होता है।
तो उसका भी कारण हार्मोनल इबैलेंस होता है क्योंकि इसमे estrogen harmones बहुत अधिक बढ़ जाता है जिसके वजह से पीरियड्स के दौरान हैवी ब्लीडिंग होता है।
इसका इलाज निचे मे बता रहा हूँ जो आप लें सकते है।
1. सिरप हेमपुष्पा 2 चमच सुबह शाम
2. सिरप osteocalcium 2 चमच सुबह शाम 3. सिरप Dexorange 2 चमच सुबह शाम अगर इनसब से आराम नहीं मिले तब साथ मे tab. Regestrone 5mg या Overal-G टेबलेट पीरियड्स के 5 वे से 25वे दिन तक रोजाना एक गोली 3 महीनों तक लें। और ब्लीडिंग रोकने के लिए टेबलेट Etamsylate या Trenexa 2 से 3 दिन तक लें।
नोट :- कोई भी दवा लेने से पहले एक बार अपने नजदीकी डॉक्टर्स से सलाह अवश्य लें।

आपको मेरा यह पोस्ट कैसा लगा उसे आप मुझे कमेंट कर के बता सकते है और कोई सुझाऊ देना चाहते है या कुछ सेहत से जुडी कोई समस्या का समाधान चाहते है तो आप मुझसे कमेंट बॉक्स मे कमेंट कर के पूछ सकते है।

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आपका मित्र
रवि शंकर मेहता
General Medicine Practisner last from 4 years (Helious Hospital & Research Centre)
11years Pharmaceutical experience MBA from Amity University Noida.

Friday, December 30, 2022

साइंतिका क्या है, सायटीका क्या है, सायटीका का कारण, सायटीका का लक्षण, सायटीका का उपचार,

मेरे प्यारे पाठकों मैं आप का दोस्त आपका भाई रवि शंकर मेहता आपसब के लिए आज फिर एक नये हेल्थ टिप्स और उसके उपचार, कारण यह सब मे इस लेख मे बताऊंगा। आज का हमारा टॉपिक sciatica है, यह एक ऐसा टॉपिक है जिनसे लगभग हर 10 मे से 7 लोग इस रोग से परेशान है। इसको आमतौर पर बैक पैन भी कहते है। तो आइये शुरू करते है जो हमारा आज का विषय है साइंतिका।

सायटिका है क्या? सबसे पहले ये जानते है।
सायटिका एक प्रकार की नर्वस सिस्टम मतलब तांत्रिका तंत्र की समस्या है जिसमे बैक से लेकर पाँव तक बहुत ज्यादा और तीव्र दर्द होता है और पैर और एड़ी मे कमजोरी और सुन्न और सिहरन रहता है। साइटिका एक सामान्य, लेकिन बहुत ही गंभीर समस्या है। दरअसल, कमर से संबंधित नसों में से अगर किसी एक में भी सूजन आ जाए तो पूरे पैर में असहनीय दर्द होने लगता है, जिसे साइटिका कहा जाता है। 50 साल से अधिक उम्र या मोटे लोगों में यह समस्या आम है।

सायटीका का क्या कारण होता है।
सायटीका का मुख्य कारण नस का दबना होता जिनसे कमर से निचे पाँव तक बहुत ज्यादा तीव्र दर्द रहता कभी कभी तो लगता है की पैर मे कोई जान ही नहीं है बेजान सा हो गया चलना फिरना, उठना बैठा सब मुश्किल हो जाता है। और भी कारण है जो इस प्रकार है।
1. रीढ़ की नाल का पतला होना।
2. स्पिनल कॉर्ड की डिस्क का टूटना।
3. एक वर्टीबरा का दूसरे वर्टीबरा पर दवाब डालना। वर्टीबरा के डिसलोकेशन का होना।
4. कोई इंजूरी।
5. पीठ अथवा कुलहे के मस्पेसियों मे खींचाओ। 6. गठिया
7. नस पर दवाब पड़ने के कारण।
8. एक ही स्थान पर लम्बे समय तक बैठे रहने के कारण।

सायटीका के लक्षण क्या है?
सायटीका के बहुत सारे लक्षण है जैसे :-
 1. कमर दर्द
2. बैठने पर बहुत तीव्र दर्द होना।
3. कूल्हे का दर्द
4. पैरों मे जलन और झुंझुनी महसूस होना।
5. कमजोरी, सुनापन, तथा पैर को इधर उधर करने मे कठिनाईया होती है।
6. पीछे की तरफ एक साइड मे लगातार दर्द रहना।
7. खड़े होने या खड़ा रहने मे समस्या होती है।
8. दर्द कभी बहुत तीव्र तो कभी बहुत कम होता है।
9. दर्द कभी एक पैर मे तो कभी दोनों पैरो मे हो जाता है।
10. कभी कभी यह दर्द कमर से होकर एड़ी तक पहुंच जाता है।
11. कभी कभी यह दर्द कमर से एड़ी तक ऊपर निचे करता रहता है।
12. दर्द अधिक बढ़ जाने के कारण मरीज़ लंगड़ा के चलने लगता है। इत्यादि।

सायटीका मे क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए।
 क. मरीज़ को 2,3 सप्ताह तक बेड रेस्ट करना चाहिए।
ख. ज्यादा वजन नहीं उठाना चाहिए।,
ग. गद्दीदार बिस्तर का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
घ. पैरों पर मालिस भूल के भी नहीं करना चाहिए नहीं तो दर्द और बढ़ जायेगा।
ड़. सायटीका का कारण का पता लगा के ही इलाज करना चाहिए।
च. मरीज़ को गर्म शिकाई करनी चाहिए।
छ. मरीज़ को अगर बुखार हो तो पहले उसका इलाज करना चाहिए।
सायटीका का उपचार।
सायटीका का इलाज स्वयं नहीं करना चाहिए। हमेशा डॉक्टर के परामर्श से ही दवा का सेवन करना चाहिए। ऐसे मरीज़ को कम्पलीट बेड रेस्ट करना चाहिए। और कभी ज्यादा वजन नहीं उठाना चाहिए।
आइये अब हम इसके उपचार के बारे मे जानते है की सायटीका मे कोनसी दवा लेनी चाहिए।
1. Zeredol-P टेबलेट एक गोली सुबह एक गोली शाम।
2. Neurobion Forte टेबलेट एक गोली सुबह एक शाम
3. Wysolon 5mg टेबलेट सुबह शाम एक एक गोली कुछ समय क लिए लिया जा सकता है
4. Move Ointment सुबह शाम दर्द के जगह लगाए।
अगर ऊपर दिए हुए दवा से आराम नहीं मिले तब दर्द कम करने के लिए इंजेक्शन लेना चाहिए जैसे :-
1. Dilona Injection 1ml IM सुबह शाम
                   or
Tramadol Injection 2ml IM सुबह शाम
2. Neurobion Forte Injection 2ml सुबह शाम or
गर्म पानी की थैली से शिकाई करनी चाहिए।

नोट :- यह सब दवा एक कुशल डॉक्टर के देख रेख मे ही लें अपने से कोई भी दवा नहीं लें। क्योंकि आप or आपकी सेहत को एक डॉक्टर से अच्छा कोई नहीं समझ सकता है। इसलिए कोई भी दवा बिना डॉक्टर के परामर्श के स्वयं से ना लें।

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धन्यवाद
आपका मित्र
रवि शंकर मेहता
MBA, EMT,CMS-ed कलकत्ता बंगाल
11 years Pharma एक्सपीरियंस, दिल्ली, बिहार
3 year Hospital एक्सपीरियंस, पटना

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Saturday, December 24, 2022

दवा अगर रिएक्शन कर जाये तो क्या करे, दवा रिएक्शन का उपचार, दवा रिएक्शन कर जाये तो क्या करे,

मित्रों और मेरे प्यारे पाठकगन आपसब को मेरे सहहिर्दय धन्यबाद, आपसब का प्यार ही मुझे हमेशा लेखन कार्य को प्रोत्साहित करता है। आज फिर मे आपसब के लिए हमेशा की तरह फिर दवा और सेहत से जुडी जानकारी लेकर आपके समक्ष प्रस्तुत हुँ, हमेशा की तरह इस लेख पर भी आपके का प्यार और सहयोग चाहता हुँ।

आपसब का अपना भाई, रवि शंकर मेहता MBA ( मेडिकल प्रैक्टिसनर )CMS-ED, EMT कलकत्ता बेस्ट बंगाल, 11 साल का फार्मा अनुभव और 3 वर्ष हॉस्पिटल अनुभव के आधार पे मे आपसब के समक्ष अपने अनुभव और ज्ञान के आधार पर आपके साथ साझा कर रहा हुँ।


आज हम इस लेख मे जानेगे, पढ़ेंगे और समझेंगे की अगर कोई दवा खाने के बाद किसी मरीज़ को दवा रिएक्शन कर जाये या कर जाता है तो हमें तुरंत क्या करना चाहिए उसको जानेंगे। तो आइये शुरु करते है।


दवा रिएक्शन का हल एवं उसका उपचार।

अगर कोई दवा रिएक्शन कर रहा है या रिएक्शन कर गया है तो कैसे जानेंगे की दवा रिएक्शन कर गया है तो उसका कुछ लक्षण होता है जो हमें हमारे शरीर पर दिखने या महसूस होने लगता है। जो इस प्रकार है।

दवा रिएक्शन के लक्षण :-

1. शरीर मे कपकपी होना।

2. शरीर मे चकता चकता होना।

3. खुजली होना।

4. नज़र का कमजोर होना।

5. उलटी होना या उलटी जैसा मन करना।

6. सूजन होना।

अगर ऊपर दिए कोई भी लक्षण अगर कोई भी दवा खाने के बाद दिखाई दे तो समझ लीजिये की आपको दवा रिएक्शन कर गया है, या कर रहा है।

दवा को रिएक्शन को हटाने या ख़त्म करने के लिए कुछ दवाइयाँ आती है जिनके लेने से दवा के रिएक्शन को ख़त्म किया जा सकता है। जो मे निचे लिख रहा हु वो इस प्रकार है।

दवा के नाम और उसके मिश्रण (composition)

जो मे दवाइयाँ बताने जारहा हुँ वो sub दवाइयाँ एंटी -हिसटामिन और एंटी- एलर्जीक ग्रुप से सम्बन्ध रखते है। जो इस प्रकार है।

1. Avil इंजेक्शन & टेबलेट ( pherniramine malate ) IV/IM stat/ टेबलेट ओरल

2. Dexona इंजेक्शन / टेबलेट (Dexamethasone) IM/IV stat / टेबलेट ओरल

Avil + Dexona : सबसे पहले जब किसी मरीज़ को दवा रिएक्शन करता है यही दोनों इंजेक्शन को अलग अलग या एक साथ मिला के मरीज़ को हम IV / IM दोनों लगा सकते हैं। और इसके बाद भी ठीक ना हो तो फिर दूसरी दवा देंगे जो इस तरह है। निचे क्रम मे दिया हुआ है।

3. Promethazine इंजेक्शन / टेबलेट (0.5./kg ओरल टेबलेट या इंजेक्शन IV stat.

4. Cetrizine (0.2mg/kg ओरल टेबलेट

5. Fexofenadine (2.5mg/kg ओरल डोज़ टेबलेट 

6. Epinephirne (0.01mg/kg इंजेक्शन IM stat प्रत्येक 5 से 10 मिनट पर जब तक आराम ना मिले )

7. Hydrocortisone sodium succinate (Trycort 100mg injection) IV/ IM stat

8. Adrenaline Bitap (VasoCon) इनेक्शन IV/IM stat.


अब हमलोग जानेंगे इनके dose (मात्रा) कितना और कैसे लगाना है।

1. Avil+Dexona(steriods) इंजेक्शन IM/IV stat रूट।

Dose : व्यस्क : Avil 2ml + Dexona 2ml दोनों मिला के IV लगाना है।

Dose: चाइल्ड : Avil 1ml+ Dexona 1ml दोनों मिला के IV लगाना है।

इसके लगाने के 10 मिनट मे आराम नहीं मिलता है, तब हम्हे दूसरा Troycort 100mg इंजेक्शन लगाएंगे।

2. Troycort 100mg इंजेक्शन (Hydrocortisone sodium succinate)

Trycort 100mg इंजेक्शन लगाते है अगर इसके लगाने के बाद भी सूजन नहीं जारहा हो तब trycort 200mg इनेक्शन लगाएंगे। IV/IM 100mg सुबह 100mg शाम।

3. Epinephrine (0.01mg/kg इंजेक्शन प्रत्येक 5 से 10min जब तक मरीज़ को आराम ना मिले। यह डॉक्टर के देख रेख मे होना चाहिए।

इनसब के बाद मरीज़ को चकर भी आरहा हो तो BP चेक करेंगे, BP कम हो या diarrhoea के वजह से हो रहा हो तो Ringer Lactet IV इन्फूज़ (लगाएंगे )करेंगे।

क. अगर मरीज़ को उलटी या उलटी जैसा हो रहा हो तो ondansitron इंजेक्शन IV/IM लगा सकते है व्यस्क - 4ml, और बच्चा - 2ml।

ख. अगर मरीज़ को बुखार हो तो पेरासिटामोल इंजेक्शन या टेबलेट देंगे। मात्रा - 15mg/kg शरीर के वजन अनुसार, 100ml पेरासिटामोल infusion भी लगा सकते है।

ग. Anaphylaxis शॉक रिएक्शन :- इसमे ब्लड प्रेशर कम हो जाता है, पल्स रेट तेज़ होना, शरीर मे ऑक्सीजन सप्लाई का कम हो जाना, मरीज़ बेहोसी की हालत मे जा सकता है।

4. Vasocon ( Aderanalline bitap) इंजेक्शन IM/IV stat लगा सकते है

मात्रा - व्यस्क - vasocon 1ampule subcutaneous लगाएंगे। बच्चा - 1/2 ampule subcutaneous लगाएंगे।


पढ़ने के लिए आपका सहहिर्दय धन्यबाद।

आपका अपना भाई।

रवि शंकर मेहता

MBA( Amity University Noida)

EMT- (Prabha institute Patna)

CMS-ed (Future health institute ) kalkatta west Bengal.

11year Pharma experiance

3year Hospital experiance (Helious Hospital & Research Center) Patna.


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